ये साल

ये साल

साल ही नहीं गुजरा, बहुत कुछ गुजर गया
एक सैलाब सा आया और मंजर बदल गया
सोचा था क्या और क्या हो गये हम
जिंदगी का एक हिस्सा साल के साथ गुजर गया।

जिंदगी का एक और दिन कम हुआ
पर किसी को न कोई गम हुआ
सब हंसते मुस्कुराते महफिलें सजा रहे
पुराने के जाने और नए के आने का जश्न मना रहे।

नए वादे, नए इरादे लेकर नया साल आ रहा
कुछ यादें कुछ किस्से छोड़ पुराना जा रहा
गौर फरमाओगे तो शायद समझ पाओगे
बदलता साल जिंदगी की कहानी दोहरा रहा।

कभी सोचता हूं जिंदगी का सूरज जब अस्त होता
क्यूं इंसान इस कदर मायूस और दुखी होता
क्यूं नहीं किसी के जाने पर खुशियां हम मनाते
हो गया पूरा सफर उसका, क्यूं समझ नहीं पाते।

पुराने साल की विदाई की तरह, जश्न क्यूं नहीं मनाते, आखिर साल हो या इंसान सबको जाना है
मौत के बाद फिर से एक नई शुरुआत होगी
जो चला गया उसकी याद तो हमेशा साथ होगी।।

आभार – नवीन पहल – ३१.१२.२०२२

# प्रतियोगिता हेतु 


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5 Comments

बहुत ही सुंदर सृजन

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Varsha_Upadhyay

03-Jan-2023 07:45 PM

शानदार

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